कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है जिसमें एक पंडितजी की मृत्यु और उसके बाद का चमत्कारिक पुनर्जीवन दर्शाया गया है। घटना लगभग 55-60 साल पहले की है, जब पंडितजी ठंड के मौसम में अपने घर के दरवाजे पर बैठे थे। अचानक उन्हें एक अजीब हलचल हुई और वे गिर पड़े। उनकी नातिन ने माँ को बुलाया, और देखते ही देखते गाँववाले इकट्ठा हो गए। गाँव के बुजुर्गों ने पंडितजी की जाँच की और उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके अंतिम संस्कार की तैयारी करने के बाद, जब उनकी चिता सजाई जा रही थी, तभी चिता में हलचल हुई। पंडितजी के बड़े बेटे ने देखा कि उनके पिता की पलकें उठ रही थीं और उनका चेहरा लाल था। उन्होंने चिल्लाते हुए गाँववालों को बताया कि पंडितजी जीवित हैं, लेकिन लोग डरकर भाग गए। यह घटना लोगों के लिए कौतूहल का विषय बन गई क्योंकि पंडितजी ने बताया कि यमदूतों ने उन्हें लौटाया था। इस कहानी में जीवन, मृत्यु, और पुनर्जीवन के रहस्यमय पहलुओं को दर्शाया गया है।
एक कहानी
Vanrajsinh Zala द्वारा हिंदी लघुकथा
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