Sehra me mai aur tu book and story is written by Prabodh Kumar Govil in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Sehra me mai aur tu is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
सेहरा में मैं और तू - उपन्यास
Prabodh Kumar Govil
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
ओह! शुरू शुरू में ये अविश्वसनीय सा लगा था।
बिल्कुल असंभव! नहीं, ऐसा हो ही कैसे सकता है? इसकी कल्पना करना भी कल्पनातीत है।
आख़िर नियम कायदे भी तो कुछ चीज़ होती है या नहीं! ऐसा हो ही कैसे सकता है? और क्यों होगा??
शहर से तीस किलोमीटर दूर स्थित एक सुरम्य मनोरम घाटी में घुमावदार पहाड़ी रास्ते पर स्थित वो खूबसूरत छोटी सी इमारत शान से खड़ी थी। इमारत बेशक छोटी सी हो, किंतु उसके इर्द गिर्द फ़ैला मैदान कोई छोटा नहीं था। मज़बूत चारदीवारी से घिरा यह हरा भरा नज़ारा शहर के नामी गिरामी राज परिवार का देश के युवाओं को एक अनमोल तोहफ़ा ही तो था।
राज परिवार ने अपनी यह मिल्कियत एक खेल अकादमी को सौंप दी थी। राजमाता के निधन के बाद जब उनके दोनों पुत्रों और एक पुत्री के बीच लंबी चौड़ी संपत्ति का बंटवारा हुआ तब एकांत में बना हुआ ये भवन और इसका लंबा चौड़ा अहाता ज़िला प्रशासन के माध्यम से उस स्पोर्ट्स अकादमी को दान में दे दिया गया जिसका गठन अपने निधन से कुछ समय पूर्व राजमाता ने निर्धन प्रतिभाशाली ग्रामीण युवकों को अंतरराष्ट्रीय खेलों के लिए तैयार करने के उद्देश्य से एक हॉस्टल बनाने के लिए दे दिया था।
इस खेल विद्यालय का विधिवत गठन हो चुका था। इसमें पांच वर्ष के लिए बीस लड़कों का चयन आदिवासी, भील, वनवासी, खानाबदोश और घुमंतू जनसंख्या के लोगों के बीच से किया गया था। यह पूरी तरह निशुल्क था और इसके संचालन का सारा खर्चा राजपरिवार की ओर से सुरक्षित रखे गए एक फंड से किया जाना था।
ओह! शुरू शुरू में ये अविश्वसनीय सा लगा था।बिल्कुल असंभव! नहीं, ऐसा हो ही कैसे सकता है? इसकी कल्पना करना भी कल्पनातीत है।आख़िर नियम कायदे भी तो कुछ चीज़ होती है या नहीं! ऐसा हो ही कैसे सकता है? ...और पढ़ेक्यों होगा??शहर से तीस किलोमीटर दूर स्थित एक सुरम्य मनोरम घाटी में घुमावदार पहाड़ी रास्ते पर स्थित वो खूबसूरत छोटी सी इमारत शान से खड़ी थी। इमारत बेशक छोटी सी हो, किंतु उसके इर्द गिर्द फ़ैला मैदान कोई छोटा नहीं था। मज़बूत चारदीवारी से घिरा यह हरा भरा नज़ारा शहर के नामी गिरामी राज परिवार का देश के युवाओं को
ये उन दिनों की बात थी जब राजमाता जीवित थीं। इतना ही नहीं, बल्कि तब तक महाराज साहब ने भी इस दुनिया से कूच नहीं किया था और राजमाता तब महारानी कहलाती थीं। क्या शान थी, क्या दिन थे।उन्हीं ...और पढ़ेकोलंबिया के एक क्लब ने एक इंटरनेशनल स्पर्धा का आयोजन किया। उसमें भाग लेने के लिए महारानी ने अपने छोटे बेटे को भेजने की व्यवस्था कर दी। खेल आयोजन निजी तौर पर था इसलिए कहीं से चयन आदि की कोई सरकारी औपचारिकता पूरी करने की ज़रूरत नहीं थी फ़िर भी महारानी ने केवल अपने पति की जानकारी में लाकर बेटे
पुरानी बातों का कोई भी अस्तित्व चिन्ह अब यहां नहीं था। अब न राजमाता जीवित थीं और न ही उनके उस छोटे सुपुत्र के बारे में कोई ये जानता था कि वो अपनी वृद्धावस्था कहां और किस अवस्था में ...और पढ़ेकर गुजार रहा है।अब तो एक से बढ़ कर एक इन उत्साही खिलाड़ी नौजवानों का दिन हर रोज़ सूरज के साथ ही यहां उगता था और दिन भर उमंगों से लबरेज़ रहता था। ये सभी युवक यहां निशाने बाज़ी का प्रशिक्षण ले रहे थे। इन्हें देश विदेश की छोटी बड़ी स्पर्धाओं के लिए तैयार किया जाता था। एक अलग ही
( 4 )हल्की - हल्की धूप सिर पर चढ़ आई थी। मैस वाला लड़का बार बार पहाड़ी की तरफ़ देखता फिर सेब के रस के बर्तन को देखता। वह अब इंतजार करते करते ऊब सा गया था। उसने बचे ...और पढ़ेसेब के रस को एक जग में डाल कर ढक दिया था और वहां से समान समेटने की तैयारी में था।सुबह के अभ्यास के बाद रसोई में काम करने वाले ये दोनों लड़के मैदान के इस कोने में चले आते थे। यहां रोज़ कोई न कोई जूस सभी शिविरार्थियों को दिया जाता था। मेहनत से थके हुए जवान लड़के गिलास
आज अकादमी में बहुत खुशी का माहौल था। जिसे देखो वही एक दूसरे से हंस - हंस कर उत्साह से बात कर रहा था। ऐसा लगता था जैसे कोई बड़ा त्यौहार आने वाला हो।मैस में काम करने वाले लड़के ...और पढ़ेतो नहीं जानते थे कि ऐसा क्या हुआ है जो सब इतने खुश हैं, पर सबको खुश देख कर उनमें भी एक अनजाना सा जोश भर गया था। वो दोनों भी दौड़ भाग करके अपने काम खुशी से निपटा रहे थे।लो, खुलासा भी हुआ। आख़िर सबको पता चला कि सारे में ऐसे उमंग भरे माहौल का कारण क्या है?लड़कों की