पिछले कुछ समय से संध्या की खाँसी रुकने का नाम नहीं ले रही । फिर भी काम से उसे ...
अन्नदा पाटनी सड़क के किनारे अपने सामान के साथ आरती खड़ी थी । किधर जाए, कुछ नहीं सूझ रहा ...
अन्नदा पाटनी अचानक पता लगा कि पिताजी को कैंसर है तो सावेरी की तो जैसे जान ही निकल गई ...
आवत ही हरषै नहीं, नैनन नहीं सनेह, तुलसी तहाँ न जाइये, कंचन बरसे मेह ।। संत तुलसीदास जी कहते ...
अन्नदा पाटनी स्टडी के कमरे से झल्लाने की आवाज आ रही थी,” क्या कर रहा है ? जल्दी हाथ ...
कर्मण्येवाधिकारस्ते अन्नदा पाटनी छिटक कर आती वातायन से किरणें सूरज की, कमरे की ...
अन्नदा पाटनी उफ़ ! बारह बज गए । जल्दी जल्दी खाना मेज़ पर लगाओ नहीं तो सुनना पड़ जायेगा," ...
एक पाती माता पिता के नाम अन्नदा पाटनी पूज्य बाबूजी व अम्माँ, सादर प्रणाम । यह जानते हुए भी ...
कैसी आधुनिकता, कैसी मानसिकता अन्नदा पाटनी कावेरी का फ़ोन आया," क्या कर रही है ? आजा बैठेंगे। चाय वाय ...
सपने - अवचेतन का प्रतिरूप अरे, अरे ! यह क्या, लग तो अम्माँ जैसी रही हैं ।सूती साड़ी, माथे ...