सुबह के साढ़े नौ बजे होंगे। अस्पताल का माहौल रोज़ की तरह तेज़ और व्यस्त था, लेकिन डॉक्टर मयूर ...
कुछ दिन बाद.....सुबह की नर्म किरणों ने जैसे ही खिड़की से झाँककर कमरे को छुआ, एक हल्की सी गर्माहट ...
रुशाली आज कुछ ज़्यादा ही नर्वस थी। सफ़ेद कोट उसके कंधों पर था, पर आत्मविश्वास कहीं कंधों से फिसलता ...
अब रुशाली की ज़िंदगी एक तय रूटीन में ढल चुकी थी — हर सुबह उठकर अस्पताल जाना, मरीज़ों की ...
रुशाली अब अस्पताल से घर लौट आई थी। जिस तरह से ज़िन्दगी ने उसे झकझोरा था, उसके बाद अब ...
रुशाली का वह दिन भी पिछली रात की ही तरह बीता – मन में वही डॉक्टर लड़का छाया रहा ...
रुशाली उस अस्पताल के जनरल वार्ड में रात के लगभग तीन से साढ़े तीन बजे अपनी माँ के पास ...
रुशाली की ज़िंदगी ठीक-ठाक चल रही थी। वह एक खुशमिजाज लड़की थी, जिसे अब तक न तो किसी से ...
रुशाली की ज़िंदगी उतनी ही सादी थी, जितनी उसकी सोच। न उसे बनावटी खूबसूरती की फिक्र थी, न ही ...
मैं यह कहानी दोबारा लिख रही हूँ, लेकिन इस बार बिल्कुल वैसे, जैसे मैंने इसे अपने दिल में महसूस ...