CHIRANJIT TEWARY stories download free PDF

तेरे मेरे दरमियान - 43

by CHIRANJIT TEWARY
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अशोक कहता है ----->" ये पैरो मे चोट और कल तुम कहां गयी थी , दामाद जी से पूछा ...

श्रापित एक प्रेम कहानी - 22

by CHIRANJIT TEWARY
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दोनो सुंदरवन के पास पँहुच जाता है जहां पर वर्शाली ने एकांश को बुलायी थी। एकांश बाइक से उतर ...

तेरे मेरे दरमियान - 42

by CHIRANJIT TEWARY
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दुसरा बदमास कहता है --->" अरे मेरी जान , इतनी खुबसूरती का क्या करोगी , थोड़ा रस हमे भी ...

श्रापित एक प्रेम कहानी - 21

by CHIRANJIT TEWARY
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आलोक :- संपूर्णा तुम यही छुप जाओ मैं चतुर को यहां से लेकर चला जाउगांतब तुम निकल कर यहां ...

तेरे मेरे दरमियान - 41

by CHIRANJIT TEWARY
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मोनिका :- पर तुमने एक काम बहोत अच्छा किया , उस धोकेबाज आदित्य को छौड़कर । वरना वो तुम्हारी ...

श्रापित एक प्रेम कहानी - 20

by CHIRANJIT TEWARY
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रूम में जाकर एकांश वृंदा को सुला देता है। और वसे जाने लगता है पर वृंदा एकांश का हाथ ...

तेरे मेरे दरमियान - 40

by CHIRANJIT TEWARY
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जानवी हैरान थी के सुबह इतना कुछ होने के बाद भी आदित्य एक दम शांत था ।जानवी अपने कमरे ...

तेरे मेरे दरमियान - 39

by CHIRANJIT TEWARY
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आदित्य कृतिका से कहता है ----आदित्य :- कुछ नही , शांत रहो ।रमेश :- यार आदित्य, कृतिका सही बोल ...

श्रापित एक प्रेम कहानी - 19

by CHIRANJIT TEWARY
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वृंदा कहती है---वृदां :- निंद ही नहीं आ रही है तो सोचा कुछ दैर तुमसे बात करलूं ।तभी चतुर ...

तेरे मेरे दरमियान - 38

by CHIRANJIT TEWARY
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जानवी :- आप कहना क्या चाहते हो पापा ?अशोक : - बेटी ये सब आदित्य के वजह से हो ...