डिम्पल गौड़ stories download free PDF

पराई

by Dimple Gaur
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मायके आए हुए मुझे पूरे दस दिन हो चुके थे.पति विशाल से फोन पर बातचीत करने के बाद उठी ...

अरदास

by Dimple Gaur
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गंगा घाट की सीढ़ियों पर बैठी नयनतारा जीवन के विगत पलोंको आँखों में भर बहती गंगा की धारा को ...

रिश्ते

by Dimple Gaur
  • (4.6/5)
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"अब नहीं जाऊँगी,कहे देती हूँ !" आते ही अपना पर्स पलंग पर फेंकते हुए चित्रा चिल्ला उठी ।" आखिर ...

हम भी अधूरे..तुम भी कुछ आधे

by Dimple Gaur
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तेज कदम बढ़ाते हुए विशाखा सूनी सड़क पर चली जा रही थी। सड़क किनारे लगे कतारबद्ध अशोक के वृक्ष ...

अंत

by Dimple Gaur
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अंत संकरे रास्ते से होते हुए आखिर मैं पहुँच ही गया उस जगह जिसे आम भाषा में बदनाम बस्ती ...

शिकायत है ऊपर वाले से

by Dimple Gaur
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हुकुम सिंह ने आते ही सबसे पहले ननकी को ऊपर से नीचे तक घूरा । उसकी पैनी दृष्टि के ...

आत्म रक्षा

by Dimple Gaur
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मूसलाधार बारिश । सुनसान रास्ता । आज ऑफिस में मीटिंग देर तक चली थी । शुभ्रा जब ऑफिस से ...

कर्म-फल

by Dimple Gaur
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कर्म-फल सलाखों के बीच घिरा हुआ बैठा था वह. पूरी तरह से पीली पड़ चुकी आँखें. पिचके हुए गाल,मुख ...