गोपाल माथुर मैं इन खण्डहरों में बस यूँ ही आ गया हूँ. मुझे यहाँ एक अजीब सी सान्त्वना मिलती ...
गोपाल माथुर क्या आपने कभी किसी अनजान शहर में ऐसी शाम बिताई है, जहाँ आपको ऐसे व्यक्ति की प्रतीक्षा ...
मैं अचानक लाइब्रेरी की सीढ़ियों पर ठिठक गया. मैंने देखा, मेरे साथ साथ धूप भी उतरने की तैयारी में ...
बीता हुआ कल गोपाल माथुर रात शाम की दहलीज पर आते आते ठिठक गई थी. शाम ने उसे रोक ...