Luqman Gangohi stories download free PDF

JANVI - राख से उठती लौ - 6

by Lukman Khan
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लबासना की वादियों में"जब अपने घाव ही अपने गुरु बन जाएं, तो मंज़िल खुद रास्ता बन जाती है।"कुछ ही ...

JANVI - राख से उठती लौ - 5

by Lukman Khan
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रिजल्ट का दिन"जब मंजिल मिलती है, तो वो सिर्फ सफलता नहीं होती वो हर अपमान का उत्तर बन जाती ...

JANVI - राख से उठती लौ - 4

by Lukman Khan
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राख से उठती लौ"जिसे सबने छोड़ा, उसने खुद को थामा। जिसे सबने रोका, उसने उड़ना सीखा।"पंकज के जाने के ...

JANVI - राख से उठती लौ - 3

by Lukman Khan
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जहां रिश्ते टूटे, वहां एक रिश्ता बना"कुछ रिश्ते खून से नहीं, समय और समझ से बनते हैं... और वो ...

JANVI - राख से उठती लौ - 2

by Lukman Khan
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अनकहे रिश्ते"कभी-कभी जो हमें सहारा लगता है, वही हमारी सबसे बड़ी सीख बन जाता है।"यह वह दौर है जब ...

JANVI - राख से उठती लौ - 1

by Lukman Khan
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सपनों की शुरुआत(जहाँ आसमान अभी दूर था, लेकिन आंखों में उसका अक्स था...)कानपुर के बाहरी इलाके में बसा एक ...

JANVI - राख से उठती लौ - प्रस्तावना

by Lukman Khan
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प्रस्तावना"वो कहते हैं न, कि लड़कियां कमजोर होती हैं...पर मैंने तो देखा है-एक लड़की अपने टूटने की आवाज़ भी ...

इम्तेहान-ए-इश्क़ या यूपीएससी - भाग 12

by Lukman Khan
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बेटी या बेटा - मोहब्बत की मुस्कुराहट(जहां मोहब्बत की मेहरबानी, एक नन्हीं सी मुस्कान बनकर जिंदगी को सजाती है...)बरसों ...

इम्तेहान-ए-इश्क़ या यूपीएससी - भाग 11

by Lukman Khan
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एक साथ, एक सेवा - फर्ज़ और फैमिली के बीच संतुलन("सच्चा प्यार वही है, जो जिम्मेदारियों के बीच भी ...

इम्तेहान-ए-इश्क़ या यूपीएससी - भाग 10

by Lukman Khan
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UPSC - अंतिम परीक्षा, अंतिम क़सम("कुछ इम्तेहान तुम्हारे दिमाग़ नहीं, तुम्हारे दिल की सच्चाई को परखते हैं... और ये ...