अनिरुद्ध ब्लैक सूट में खुद को आईने में देख रहा था... उसके चहेरे पर सुकून भरी मुसकुराहट थी....तभी संजना ...
अनिरूद्ध धीरे से संजना के पास आया..और पास में बैठ गया... वो संजना के माथे पर हल्के हल्के हाथ ...
गाड़ी का दरवाजा खुला और वो बाहर आया... हरदेव उसे देखकर हैरान था...." तुम यहां कैसे आ सकते हो ...
किंजल बहुत कोशिश कर रही थी पर कमरे से बाहर नहीं निकल पा रही थी... धुएं की वजह से ...
फिर ठीक है... और अनिरुद्ध को बताने की कोई चालाकी भी मत करना....." हरदेव ने कहा.." नही करूंगी पहले ...
इस बड़े धमाके से ... सब का ध्यान उस और गया... सभी डर के मारे भागदौड़ करने लगे... अनिरूद्ध ...
शाम के करीब चार बज चुके थे... पार्टी कुछ ही देर में शुरू होने वाली थी...किंजल होटल के कमरे ...
" चाची आप यहां ? " अनिरुद्ध ने हैरानी के साथ कहा..." अनिरूद्ध प्लीज मुझे माफ करदो.. में जानती ...
" मनीष ये क्या किया तूने... ? " अखिल जी ने मनीष को डांटते हुए कहा.." हाउ डेयर यू... ...
" मीरा तुझे आने की क्या जरूरत थी ? यहां सब है तो सही मेरा ख्याल रखने के लिए..." ...