अध्याय ११: अंतिम गोतायांगून की सुबह कुछ अलग थी। आसमान में बादल थे, लेकिन हवा में एक अजीब सी ...
अध्याय ८: घंटी की पूजाबावर्ची की चेतावनी के बाद, माया आरव को एक दूरस्थ गाँव में ले जाती है— ...
अध्याय ५: श्रापित स्वररात गहराती जा रही थी। यांगून नदी की सतह शांत थी, लेकिन आरव के भीतर एक ...
अध्याय 6: “सीरत-ए-इल्म — यमन का आख़िरी दरवेश”(जहाँ रूह की तलाश, ख़ज़ाने से बड़ी साबित होती है…) यमन की ...
अध्याय ३: घंटी की छायायांगून की सुबह हल्की धुंध से ढकी थी। नदी किनारे खड़े आरव और माया ने ...
Great Bell of Dhammazedi ध्वनि जो डूबी नहीं:( The Sound That Never Sank) भूमिका (Prologue):> "कुछ ध्वनियाँ ऐसी होती ...
अध्याय 5: “मौराबाद का क़िला — इल्म या अभिशाप?”(जहाँ हर जवाब के पीछे एक नया सवाल छिपा है…) क़िले ...
अध्याय 4: “रेत के नीचे की रहस्यमयी सुरंग”(जहाँ ख़ामोशी भी इशारे देने लगती है...)रेत की लहरों में गिरते हुए ...
अध्याय 3: सब्र का दरवाज़ा(जहाँ इंतज़ार एक इबादत बन जाता है, और डर एक दुश्मन)दरगाह-ए-नूर की तंग सुरंग से ...
अध्याय 2: दरगाह-ए-नूर का पहला सुराग़(जहाँ रहस्य, रूह और इम्तिहान एक-दूसरे से टकराते हैं)सुबह का वक़्त था। लखनऊ की ...