ईश्वर रे, मेरे बेचारे...! फणीश्वरनाथ रेणु अपने संबंध में कुछ लिखने की बात मन में आते ही मन के ...
लालपान की बेगम फणीश्वरनाथ रेणु 'क्यों बिरजू की माँ, नाच देखने नहीं जाएगी क्या?' बिरजू की माँ शकरकंद उबाल ...
रसप्रिया - (फणीश्वरनाथ रेणु) धूल में पड़े कीमती पत्थर को देख कर जौहरी की आँखों में एक नई झलक झिलमिला ...
मारे गये गुलफाम एक कहानी है जिसके रचायिता फणीश्वर नाथ रेणु हैं। इसपर हिन्दी में एक फिल्म तीसरी कसम ...
पुरानी कहानी: नया पाठ फणीश्वरनाथ रेणु बंगाल की खाड़ी में डिप्रेशन - तूफान - उठा! हिमालय की किसी चोटी ...
रतनी ने मुझे देखा तो घुटने से ऊपर खोंसी हुई साड़ी को कोंचा की जल्दी से नीचे ...
खेती-बारी के समय, गाँव के किसान सिरचन की गिनती नहीं करते. लोग उसको बेकार ही नहीं, बेगार ...
एक आदिम रात्रि की महक (फणीश्वरनाथ रेणु) फणीश्वर नाथ रेणु की छोटी कहानियों के संग्रहो मे से प्रमुख रचना है ...