जतिन और मैत्री दोनो समझदार थे... रिश्तो और एक दूसरे की भावनाओ के प्रति जिम्मेदार थे... वो दोनो जानते ...
मैत्री से पार्लर जाने के लिये तैयार होने का कह कर बबिता उसके कमरे से अपने कमरे मे तैयार ...
आज भले जतिन और मैत्री के बीच उनके दिल मे एक दूसरे के लिये छुपे प्यार का इजहार नही ...
रसोई मे हुये इस हंसी मजाक के बीच सब साथ मिलकर नाश्ता करने बैठ गये.... जतिन और मैत्री आमने ...
अगले दिन सुबह मैत्री की नींद जब खुली तो उसे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था.. उसे ऐसा महसूस ...
मन मे दबी हुयी बातें जो मैत्री को खुलकर जीने नही दे रही थीं आज आंसुओ के जरिये बाहर ...
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुये मैत्री ने कहा-- रोते रोते घर के अंदर आने के बाद मै अपने ...
ट्रेन के गुजरने के बाद मै रोते हुये थोड़ी देर वहीं पटरियो के पास खड़ी रही और सोचती रही ...
जतिन के सीने से लगे लगे मैत्री उस पल को याद करते हुये रो रही थी जब उसने अपनी ...
जतिन के पूछने पर कि "कैसा छलावा?" मैत्री ने कहा- रवि चूंकि फार्मा कंपनी मे रीजनल मैनेजर थे इसलिये ...