22 (अंतिम भाग) प्रेरणा राघवी दी का आश्रम से यह बहिर्गमन देख काव्या का मन अस्थिर हो गया था। ...
21 फिर एक निर्णय कुछ दिनों बाद जब शरद ऋतु विदा हो गई और शीत का आगमन हो गया ...
20 देह और आत्मा का संवाद कईएक दिन और बीत चुके थे। मंजीत और राघवी की मुलाकातें अब नियमित ...
19 चाँदनी में नहायी हुई थी नदी राघवी आश्रम में अपनी साधना और सेवा में तल्लीन बनी रहती और ...
18-q देह-आत्मा और संतुलन शिवालिक की तलहटी में वर्षा ऋतु अपने चरम पर थी। रावी नदी, जो कभी शांत ...
17 देह का यथार्थ कुछ महीने बाद, मंजीत और राघवी की एक अनपेक्षित मुलाकात फिर हो गई। इस बार ...
16 मन का भटकाव दिन बीतते गए... राघवी के शब्द उसके मन में गूँजते रहे। वह समझ चुका था ...
15 नया सवेरा स्कूल के 15-20 लोगों के स्टाफ में कई महिलाएँ भी थीं, मगर मंजीत अपने आप में ...
14 बदलती जिंदगी रावी नदी का पानी अब भी उसी मंथर गति से बहता था। दस साल गुजर गए, ...
13 विरह ने बदली राह मंजीत का जीवन अब पहले जैसा नहीं रहा। रागिनी के साध्वी बनने की घटना ...