सप्तम अध्यायआलोर का अग्निसंग्रामब्रह्ममहूर्त बीतने को था। सूर्य की हल्की लालिमा आकाश में दिखने लगी थी। तलवार की नोक ...
षष्ठम अध्यायमौत का फरमानकई दिनों की यात्रा के उपरांत सागर पार कर कासिम अभिरस के तट से होते हुए ...
पंचम अध्यायसामने आये रावल और कासिमकुछ दिनों का समय बीता। हिन्दसेना के दस जहाज तीर के आकार में जलमार्ग ...
चतुर्थ अध्यायउम्म्यद में फूटदो दिन बाद संध्या काल को अपना अश्व दौड़ाते हुए कासिम ने अल्लाउद्दीन और अजीज मिर्जा ...
तृतीय अध्यायराजस्व की लूटदेबल (सिंध का तटराज्य) (एक मास उपरांत)गऊओं को हाँकता चरवाहा चहुँ ओर दृष्टि घुमाता अपने पशुओं ...
द्वित्तीय अध्यायतक्षशिला यात्राजलाशय के तट पर बैठा कंबल ओढ़े एक अधेड़ आयु का दिखने वाला कुबड़ा व्यक्ति शीतलहर के ...
प्रथम अध्यायराजकुमारियों की खोजआलोर की सीमा (कुछ महीनों पूर्व)श्वेत वस्त्र धारण किये लगभग दो सौ कन्याओं और स्त्रियों का ...
त्रयोदशम अध्यायमेवाड़ विजयबादामी में चालुक्यों की राजसभा का रिक्त सिंहासन अपने धारक की प्रतीक्षा में था। उस सिंहासन के ...
द्वादशम अध्यायसिंधु नदी की रक्त गंगाभूरे रंग की चादर ओढ़े व्यापारी जैसा दिखने वाला मनुष्य, मेवों से भरे झोले ...
एकादशम अध्यायहरित ऋषि से भेंटचित्तौड़ के महल के प्रांगण में चहलकदमी करते मेवाड़ नरेश मानमोरी बड़ी व्यग्रता से सूचना ...