बेवकूफ लखपत राय चाचा जी के घर हमारा पुराना आना-जाना रहा है | लखपतराय जी मेरे पिता के मित्र ...
बेआवाज़ तमाचा “उफ़ दीदी कितना पढ़ोगी ?” छोटे भाई के सवाल पर एकता ने मुस्कुरा कर कहा, “बिट्टू किताबें ...
दूसरा फैसला मीरा ने नंबर देखा, माँ का फोन था, एक बार होठों पर मुस्कराहट तैर गयी, ये नंबर ...
चूड़ियां न जाने क्यों आज उसका चेहरा आँखों के आगे से हट नहीं रहा है,चाहे कितना भी मन बटाने ...
फुलवा उफ़ ! अभी तक महारानी नहीं आयीं, घडी देखते हुए मेरे मुँह से स्वत: निकल गया | सुबह ...
इंतज़ार देखो, " मैं टाइम पर आ गयी" कहते हुए दिपाली ने जोर से हाथ लहराया | "क्या हुआ?" ...
अपने–अपने ईश्वर उस समय मैं शायद ढाई या तीन साल की बच्ची थी| जब घर के मंदिर में माँ ...