मैंने अपनी घड़ी पर नजर डाली, जिसकी सुई बारह बजा रही थी. एक लम्बी सांस लेते हुए मैंने हमेशा ...
शायद मनुष्य का हठीला स्वभाव ही है जिसके चलते प्रदीप और शारदा दोनों को ही यह स्वीकार करने के ...
कई दिनों बाद आज दोपहर के वक्त देवपुरा गांव के ऊपर बिजली देवी की मेहरबानी हुई है. वर्ना अक्सर ...
दरवाजा मैंने ही खोला था, शायद दोपहर के कोई एक या डेढ़ बजा होगा। हमारे पेइंग ...