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Band Darwaze Ka Raaz

by Vivek Singh

Purane Khandala Junction ke kone par ek laal lohe ka darwaza tha. Log kehte the ki is darwaze ke ...

खून की प्यास: सुनसान सड़क का श्राप - 5

by Vivek Singh
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भाग 5 – आख़िरी रात का खेलहवा में एक अजीब सी ठंडक घुली हुई थी। हवेली की दीवारों पर ...

खून की प्यास: सुनसान सड़क का श्राप - 4

by Vivek Singh
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पार्ट 4 — “तहखाने का सौदा”तहखाने का अंधेरा अब और भी गाढ़ा हो चुका था। टॉर्च की हल्की-सी रोशनी ...

खून की प्यास: सुनसान सड़क का श्राप - 3

by Vivek Singh
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पार्ट 3 — "जंजीरें इश्क़ की"हवा उस रात कुछ ज़्यादा ही भारी थी। बुरी तरह चुपचाप… जैसे पूरी दुनिया ...

खून की प्यास: सुनसान सड़क का श्राप - 2

by Vivek Singh
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Part 2 – रात का पीछा(कहानी: “खून की प्यास – सुनसान सड़क का श्राप”)गाँव में उस दिन का माहौल ...

खून की प्यास: सुनसान सड़क का श्राप - 1

by Vivek Singh
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Part 1 – डर की सड़क(कहानी: “खून की प्यास – सुनसान सड़क का श्राप”)महाराष्ट्र के एक छोटे से गाँव ...

जिस्म बिना रूह

by Vivek Singh
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जिस्म बिना रूह(A Body Without Soul)> "इंसान सिर्फ तब तक जिंदा होता है, जब तक उसमें रूह होती है... ...

डाकिया जो कभी नहीं लौटा

by Vivek Singh
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डाकिया जो कभी नहीं लौटालेखक: विवेक सिंहशैली: हॉरर | सस्पेंस | एक ही भाग में पूरी---गांव का नाम था ...

फर्श के नीचे जो सांसें आती हैं

by Vivek Singh
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---फर्श के नीचे जो सांसें आती हैं(एक ख़ौफ़नाक हॉरर कहानी)---“मैंने जब पहली बार वो आवाज़ सुनी… लगा जैसे कोई ...

वो गांव जो नक्शे में नहीं है

by Vivek Singh
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वो गांव जो नक्शे में नहीं है"(एक भटकी हुई रात… जो कभी ख़त्म नहीं हुई)रात के ठीक 8:47 पर, ...