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@yogabhikshu
Ahmedabad
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-: बापु येागभिक्षु : अनंतना आशीर्वाद :- -परिचय- मानवसमाज ज्यारे संक्रांतिकाळ मांथी पसार थइ रह्यो छे अने नैतिक मूल्योनुं अध:पतन थई रह्यु छे तथा नास्तिकता व्यापी रही छे अने समाज-बंधारण हचमची उठ्यु छे ते समये मानवदेहस्वरुपे प्रेम अने शांतिनु अखंड झरणु बापुमां वही रह्यु छे ते आपणा माटे प्रेरणादायक छे. मानव-मानव वच्चेना वधता जता अंतरने घटाडीने, तेमनी वच्चे सेतुरुप बनीने, तेमनी आंतरिक शांति माटेना मार्ग तैयार करवाना कार्य ने बापु वरेला छे. "आसुरी संपत्तिना नाश माटे अने दैवी संपत्तिनी संस्थापना अर्थे युगे-युगे विभूतिओनुं अवतरण थाय छे" तेम जे कहेवाय छे तेनुं जीवंत दृष्टांत आपणी वच्चे बापुनी उपस्थिती छे. आपणा माटे बापु ईश्वरना आशीर्वाद समान छे. आपणा संघर्षमय जीवननुं चोकसाईपूर्वक सुखमय दिशामां परिवर्तन करवाना कार्यमां तेओ मग्न छे. तेमनी जीवनयात्राना प्रारंभना दिवसोमां तेमणे योगना पाया उपर रचायेला ऐक मानवसमाजनुं दर्शन कर्युं हतुं. त्यारथी तेओ आ ईश्वरदत्त दैवी हेतु परिपूर्ण करवाना कार्यमां अविरतपणे प्रवृत्त छे. तेओनुं जीवन अनेक चमत्कारो अने आश्चर्योथी भरपूर छे. तेओ अष्टांग -योगना अभ्यासी अने अतिप्रेमी छे.
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